पांचो साल 12 महीने चुनाव होने से देश पर पड़ रहा है आर्थिक बोझ- आकर्षक मिश्रा
हम भारती न्यूज़ से उत्तर प्रदेश चीफ व्यूरो प्रमुख धर्मेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की ख़ास ख़बर
गोरखपुर एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष श्रीकांत मिश्रा, महामंत्री नीरज शाही और एक राष्ट्र एक चुनाव के महानगर संयोजक आकर्षक मिश्रा ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता आयोजित की गई ।
पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष श्रीकांत मिश्रा ने कहा कि 1947 में जब भारत आजाद हुआ उसे समय भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में बने संविधान के अंतर्गत आजाद भारत में लोकतंत्र की व्यवस्था लागू की गई, 1952 में लोकतांत्रिक भारत देश में एक साथ चुनाव होते थे जो 1967 तक एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा के साथ होते रहे लेकिन कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया और राज्यों में अलग-अलग चुनाव कराने की परिपाटी शुरू हो गई इससे देश पर चुनाव का आर्थिक बोझ पड़ने लगा । एक राष्ट्र एक चुनाव को कराने के लिए लखनऊ में सितंबर माह के पहले सप्ताह में एक बड़ा छात्र नेता सम्मेलन आयोजित किया जाएगा जिसमें विश्वविद्यालय व विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय के छात्र नेता यहां पर इकट्ठा होंगे लगभग 300 छात्र नेताओं की भीड़ जुटने का अनुमान है यह क्रम यही नहीं रुकेगा आगे भी जारी रहेगा और प्रबुद्ध जन को जोड़ा जाएगा जो युवा वोटर बने हैं उन्हें जागरूक करने का काम किया जाएगा की वन नेशन और वन इलेक्शन हो, चुनाव से देश पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और इसका दुष्परिणाम देश की जनता को झेलना पड़ेगा।
छात्र संघ चुनाव की बहाली के सवाल पर उन्होंने कहा कि छात्र संघ चुनाव ना होना विश्वविद्यालय प्रशासन इसके लिए जिम्मेदार है। क्रीमी लेयर के नियम के अनुसार विश्वविद्यालय को एडमिशन लेने के 6 से 7 सप्ताह बाद छात्र संघ चुनाव करना चाहिए हमारी मांग है कि विश्वविद्यालय प्रशासन चुनाव कराए क्योंकि विश्वविद्यालय ही वह नर्सरी है जहां से अच्छे नेता निकलते हैं और देश के कोने-कोने मैं मौजूद है और देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।