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मंडल ब्यूरो चीफ राजेश्वर सिंह
संभल से खास खबर
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनान्तर्गत दिव्य गर्भ संस्कार पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
जनपद सम्भल- जिलाधिकारी डॉ. राजेन्द्र पैंसिया के निर्देश एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी चन्द्रभूषण के कुशल मार्गदर्शन में आज दिनांक 24.05.2025 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, चन्दौसी में दिव्य गर्भसंस्कार पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ जिला प्रोबेशन अधिकारी चन्द्रभूषण, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हरवेन्द्र सिंह, संगीता भार्गव, आंकाक्षा समिति आदि के द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। जिला प्रोबेशन अधिकारी चन्द्रभूषण ने बताया कि दिव्य गर्भ संस्कार एक महत्वपूर्ण भारतीय परंपरा है जो माता और शिशु दोनों के लिए लाभदायक है. यह माता को स्वस्थ रखने, शिशु के बहुमुखी विकास के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने और शिशु में अच्छे गुणों को विकसित करने में मदद करता है। प्रत्येक माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके घर भी झाँसी की रानी, महाराणा प्रताप, शिवाजी, स्वामी विवेकानंद, ध्रुव, प्रह्लाद, मीरा, श्रवण कुमार, अभिमन्यु आदि जैसी संतान हो, किंतु इसको साकार करने के पीछे जो वैज्ञानिक और वैदिक चिंतन था, उसके विषय में अधिकांश जनमानस अनभिज्ञ हैं। भारतीय ऋषियों ने अनेकानेक वर्षों तक शोध एवं आत्मज्ञान के आधार पर विभिन्न वैज्ञानिक एवं वैदिक चिंतनों को निश्चित सिद्धांतों के रूप में पिरोया, जिन्हें ‘संस्कार‘ कहते हैं। इन्हीं संस्कारों और परंपराओं का आधार है-गर्भ संस्कार। यह दिव्य (दैवीय) विज्ञान है। ‘दिव्य गर्भ संस्कार विज्ञान‘ नारी सशक्तिकरण और परिवार संस्था को सबल बनाने तथा प्रत्येक परिवार/व्यक्ति में दिव्य शक्तियों के आमंत्रण और आगमन का आधार है। उन्होंने यह भी बताया कि जब माता-पिता किसी दिव्य आत्मा का आह्वान करते हैं, तो उनको वही शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक पात्रता भी स्वयं में विकसित करनी होती है। इसीलिए मनुष्य में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण के उद्घोष को साकारित कर भारत के विश्वगुरु के पुरातन वैभव और स्वर्णिम भविष्य की नींव इस ‘दिव्य गर्भ संस्कार विज्ञान‘ ग्रंथ के माध्यम से रखकर हम देवकऋण- ऋषिऋण-पितूऋण-भूतऋण-मनुष्य/लोक ऋण-राष्ट्रऋण से उऋण हो सकते हैं। डॉ. तनवी के द्वारा गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार, पोषण, और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया गया, जिसमें उनके द्वारा गर्भवती महिलाओं के द्वारा मोटे अनाज, दालें, मूंग, चना, राजमा, सोया और पनीर जैसे प्रोटीन स्रोतों के महत्व को बताते हुए अपनी दिनचर्या में शामिल करने पर जोर दिया। डॉ. श्रेयती द्वारा गर्भावस्था के दौरान संतुलित जीवनशैली, मानसिक शांति हेतु योग एवं व्यायाम के प्रयोग तथा समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. श्रेयती ने कहा कि समय पर सही जानकारी और संतुलित पोषण ही एक स्वस्थ माँ एवं स्वस्थ शिशु की नींव होती है। डॉ. वन्दना सक्सैना के द्वारा बताया गया कि गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में दलिया, ताजे व मौसमी फलों को प्रतिदिन सम्मिलित करते हुए संतुलित आहार लेना चाहिए जिससे मां के साथ-साथ शिशु को भी उचित पोषण प्राप्त हो सके, उन्होंने बताया कि सेब, आम, जामुन, पालक और शकरकंद जैसे फल, हरी सब्जियाँ एवं गेहूं, बाजरा आदि विटामिन्स और प्रोटीन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, जिससे शरीर में अधिक समय तक ऊर्जा बनी रहती है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ हरवेन्द्र सिंह ने गर्भवती महिलाओं को पालक, चुकंदर, मेथी और सूखे मेवे को आयरन का अच्छा स्रोत बताया जो एनीमिया से बचाव एवं विकास के लिए सहायक हैं। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को प्रारम्भिक गर्भावस्था के दौरान हल्का व्यायाम आदि करना चाहिए एवं ग्रीष्म ऋतु में बेल का रस, आमरस एवं आवश्यकतानुसार संतुलित मात्रा में खाद्य पदार्थों के साथ-साथ पानी भी पीना चाहिए जिससे शरीर में पानी की कमी न हो। जिला प्रोबेशन अधिकारी चन्द्रभूषण ने कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेने हेतु चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हरवेन्द्र सिंह, डॉ. तनवी, डॉ. श्रेयती, डॉ. वन्दना सक्सेना, संगीता भार्गव, आंकाक्षा समिति, नीलम राय एवं नूतन चौधरी, सदस्य बाल कल्याण समिति, एकांशु वशिष्ठ, संरक्षण अधिकारी, मिशन वात्सल्य आदि का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यशाला में उपस्थित समस्त माताओं-बहनों का आभार व्यक्त किया। कार्यशाला में शिल्पी, नेहा, सोनल, काजल, सरिता, सोनी, प्रियांशी, आंकाक्षा के साथ-साथ लगभग 80 गर्भवती महिलाएं उपस्थित रहीं, जिन्हें फल, चना-गुड, परमल, शीतल पेय पदार्थों का वितरण किया गया।
(चन्द्रभूषण)
जिला प्रोबेशन अधिकारी
जनपद सम्भल।