वीरगति दिवस - 15 जून
ऑपरेशन विजय और गाजीपुर के वीर योद्धा
ऑपरेशन विजय पाकिस्तानी सेना की धोखे और विश्वासघात की आदत का परिणाम था , अपने जन्मकाल से ही वह जानता है कि आमने सामने के युद्ध में कभी भारत से जीत नहीं सकता । सन 1947-48, 1965 और 1971 की हार की टीस उसे सोने नहीं देती इसलिए वह हमेशा भारत को नीचा दिखाने के लिए नई – नई तरकीबें सोचता रहता है । सन् 1999 के सर्दियों के मौसम में जब दोनों देशों की सेनाएं अपने बंकरों को खाली कर पीछे चली गयी थीं तब उसी मौके का फायदा उठाकर पाकिस्तानी सेना ने उन बंकरों पर कब्जा जमा लिया । जब इस बात का पता भारतीय सेना को 03 मई को चला तब उसने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय और वायु सेना द्वारा ऑपरेशन सफ़ेद सागर शुरू किया गया ।
ऑपरेशन विजय के दौरान उत्तर प्रदेश के जनपद गाजीपुर के दो लाल नायक शेष नाथ सिंह यादव और सी एफ एन कमलेश सिंह 547 एफ आर आई यूनिट में तैनात थे । जून 1999 में 547 एफ आर आई यूनिट को 5 गार्ड्स के साथ कारगिल की ओर आगे बढ़ने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी ताकि पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ा जा सके, जिन्होंने तोलोलिंग, टाइगर हिल और आस-पास की पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था और 5 गार्ड्स के इस दल को 56 माउंटेन ब्रिगेड के तहत 2 राजपूताना राइफल्स के साथ तैनात किया गया था । 11 जून 1999 को कर्नल एम.बी. रविंद्रनाथ के नेतृत्व में 2 राजपूताना राइफल्स को तोलोलिंग चोटी पर पुन: कब्ज़ा करने की जिम्मेदारी सौपी गयी थी ।
युद्ध के दौरान वीर भूमि गाजीपुर के दोनों वीर योद्धा 5 गार्ड्स रेजीमेंट की टुकड़ी के साथ युद्ध में अपनी भूमिका निभा रहे थे । इनका दल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस था । इन्फैंट्री यूनिटों के सैनिक पाकिस्तानी सेना पर हमले कर रहे थे और इनका दल अपनी इन्फैंट्री यूनिटों को सपोर्ट प्रदान कर रहा था । 15 जून 1999 को जब इनका दल अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा था उसी समय पाकिस्तानी सेना के तोपखाने ने भीषण फायरिंग करनी शुरू कर दी। इस पाकिस्तानी हमले में दोनों वीर योद्धा गंभीर रूप से घायल हो गए और गहरी चोटों और तेजी से होते रक्तस्राव के कारण वीरगति को प्राप्त हो गए।
सी एफ एन कमलेश सिंह का जन्म 15 मई 1967 को जनपद गाजीपुर के गांव भैरवपुर में श्रीमती केशरी देवी और श्री अंजनाथ सिंह के यहाँ हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय जामनगर में हुई जहाँ उनके पिता उस समय सेना में तैनात थे। उन्होंने बड्डुपुर से जूनियर हाई स्कूल और नेहरू इंटर कॉलेज शहादियाबाद से हाई स्कूल की परीक्षा पास की । बचपन से ही उनका रुझान सेना की तरफ था क्योंकि वह उसी माहौल में पले बढ़े थे । 31 जुलाई 1985 को वह सेना की इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ई एम ई) कोर में भर्ती हो गए । एक वर्ष सेवा के पश्चात उनका विवाह 13 मई 1986 को सुश्री रंजना से हुआ। सी एफ एन कमलेश सिंह के परिवार में उनकी माता के अलावा उनके तीन भाई रामशब्द सिंह , राजेश सिंह और राकेश सिंह हैं । वह अपने चार भाइयों में दूसरे नंबर के बड़े बेटे थे । उनके पिता श्री अंजनाथ सिंह राजपूत रेजिमेंट से मानद कप्तान के पद से सेवानिवृत्त सैनिक हैं। सी एफ एन कमलेश सिंह को उनके साहस, दृढ इच्छा शक्ति और कर्तव्य परायणता के लिए मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया ।
नायक शेष नाथ सिंह यादव का जन्म 16 अगस्त 1966 को श्रीमती नौरंगी देवी और श्री बलदेव यादव के यहाँ हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव की पाठशाला और आगे की शिक्षा शहीद इंटर कालेज से पूरी की और भारतीय सेना की ई एम ई कोर में भर्ती हो गए । इनका विवाह सुश्री सरोज यादव से हुआ । इनके परिवार में इनके माता पिता , पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है। यह अपने चार भाइयों और एक बहिन में दूसरे नंबर के बेटे थे। इनकी वीरता और बलिदान की याद में नंदगांव में इनकी एक प्रतिमा स्थापित की गयी है और वाराणसी गाजीपुर रोड पर एक पार्क का नामकरण इनके नाम पर किया गया है।
आपको बताते चलें कि ऑपरेशन विजय में नायक शेष नाथ सिंह यादव और सी एफ एन कमलेश सिंह (सेना मेडल) के अलावा इस जनपद के और 05 वीर योद्धा – लांसनायक राम दुलार यादव, सिपाही सुरेन्द्र पाल, ग्रिनेडियर इश्तियाक खान, ग्रिनेडियर जय प्रकाश यादव तथा सिपाही संजय कुमार सिंह यादव वीरगति को प्राप्त हुए थे।
- हरी राम यादव
सूबेदार मेजर (आनरेरी)
7087815074